तू रस्ता रस्ता पर्वत कर मैं पर्वत पर्वत तोड़ूँगी तू इंसां इंसां दुश्मन कर मैं जन जन अपना खोजूँग... तू रस्ता रस्ता पर्वत कर मैं पर्वत पर्वत तोड़ूँगी तू इंसां इंसां दुश्मन कर म...
चूर-चूर हुए हैं काँच की तरह, पर भट्टी में जलकर, आकार लेने की हम में प्रखरता है चूर-चूर हुए हैं काँच की तरह, पर भट्टी में जलकर, आकार लेने की हम में प्रखरता ह...
जो धन पास दूसरे के पास हमारा, पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान। जो धन पास दूसरे के पास हमारा, पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान।
आज एक की हैै सरकारी नौकरी मां की छांव में दो हैं अपनी अपनी पढ़़ाई केे लिए अडिग दांव म आज एक की हैै सरकारी नौकरी मां की छांव में दो हैं अपनी अपनी पढ़़ाई केे लिए अड...
चलते चलते बदलते हैं हम! चलते चलते बदलते हैं हम!
हर युग में हर परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाये, हर बार नयी रहती है। हर युग में हर परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाये, हर बार नयी रहती है।